भारत का राज्य संप्रतीक (अनुचित प्रयोग प्रतिषेध) अधिनियम, 2005 ( State Emblem of India (Prohibition of Improper Use) Act, 2005 )

( क ) सक्षम प्राधिकारी " से ऐसा प्राधिकारी अभिप्रेत है , जो तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन किसी कंपनी , फर्म , अन्य व्यक्ति निकाय या किसी व्यापार चिह्न या डिजाइन को रजिस्ट्रीकृत करने या कोई पेटेंट प्रदान करने के लिए सक्षम है ;

(ख) संप्रतीक" से सरकार की शासकीय मुद्रा के रूप में प्रयोग किए जाने के लिए अनुसूची में यथावर्णित और विनिर्दिष्ट भारत का राज्य संप्रतीक अभिप्रेत है ।

3. संप्रतीक के अनुचित प्रयोग का प्रतिषेध-तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति, संप्रतीक या उसकी मिलती-जुलती नकल का, किसी ऐसी रीति में, जिससे यह धारणा उत्पन्न होती है कि वह सरकार से संबंधित है या यह कि वह, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार का कोई शासकीय दस्तावेज है, केन्द्रीय सरकार या उस सरकार के ऐसे अधिकारी की पूर्व अनुज्ञा के बिना, जिसे वह सरकार इस निमित्त प्राधिकृत करे, प्रयोग नहीं करेगा ।

स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए, व्यक्ति" के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकारों का कोई भूतपूर्व कृत्यकारी भी है ।

4. सदोष अभिलाभ के लिए संप्रतीक के प्रयोग का प्रतिषेध-कोई व्यक्ति, किसी व्यापार, कारबार, आजीविका या वृत्ति के प्रयोजन के लिए या किसी पेटेंट के नाम में या किसी व्यापार चिह्न या डिजाइन में संप्रतीक का प्रयोग, ऐसे मामलों में और ऐसी शर्तों के अधीन करने के सिवाय, जो विहित की जाएं, नहीं करेगा ।

5. कतिपय कंपनियों आदि के रजिस्ट्रीकरण का प्रतिषेध-(1) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, कोई सक्षम प्राधिकारी,-

(क) किसी ऐसे व्यापार चिह्न या डिजाइन को, जिस पर संप्रतीक हो, रजिस्टर नहीं करेगा, या

( ख ) किसी ऐसे आविष्कार के संबंध में जिसका ऐसा नाम हो , जिसमें संप्रतीक आ जाता हो , कोई पेटेन्ट प्रदान नहीं करेगा ।

(2) यदि किसी सक्षम प्राधिकारी के समक्ष यह प्रश्न उठता है कि कोई संप्रतीक अनुसूची में विनिर्दिष्ट संप्रतीक या उसकी मिलती-जुलती नकल है या नहीं तो सक्षम प्राधिकारी उस प्रश्न को केन्द्रीय सरकार को निर्दिष्ट करेगा और उस पर केन्द्रीय सरकार का विनिश्चय अंतिम होगा ।

6. संप्रतीक के प्रयोग को विनियमित करने की केन्द्रीय सरकार की साधारण शक्तियां -(1) केन्द्रीय सरकार ऐसी शासकीय मुद्रा में , जिसका केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकार तथा उनके संगठनों , जिनके अंतर्गत विदेशों में राजनयिक मिशन भी हैं , के कार्यालयों में उपयोग किया जाता है , संप्रतीक के उपयोग को विनियमित करने के लिए , ऐसे निर्बंधनों और शर्तों के अधीन रहते हुए , जो विहित की जाएं नियमों द्वारा ऐसा उपबंध कर सकेगी , जो उसे आवश्यक प्रतीत हो ।

(2) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए केन्द्रीय सरकार को निम्नलिखित शक्तियां होंगी,-

(क) सांविधानिक प्राधिकारियों, मंत्रियों, संसद् सदस्यों, विधान सभा सदस्यों, केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों के अधिकारियों द्वारा लेखन सामग्री पर संप्रतीक के प्रयोग, अर्ध शासकीय लेखन सामग्री पर उसके मुद्रण या समु-ृत की रीति को अधिसूचित करना;

(ख) शासकीय मुद्रा की, जिसमें संप्रतीक समाविष्ट हो, डिजाइन को विनिर्दिष्ट करना;

(ग) सांविधानिक प्राधिकारियों, विदेशी उच्च पदस्थों, केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों के मंत्रियों के वाहनों पर संप्रतीक के संप्रदर्शन को निर्बंधित करना;

(घ) भारत में लोक भवनों, राजनयिक मिशनों और विदेश में भारत के कौंसल कार्यालयों के दखलकृत भवनों पर संप्रतीक को संप्रदर्शित करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों का उपबंध करना;

(ङ) विभिन्न अन्य प्रयोजनों के लिए, जिनके अन्तर्गत शैक्षिक प्रयोजनों और सशस्त्र कार्मिकों के लिए प्रयोग भी है, संप्रतीक के प्रयोग के लिए शर्तें विनिर्दिष्ट करना;

(च) ऐसी सभी बातें (जिनके अंतर्गत संप्रतीक के डिजाइन का विनिर्देश और इसके प्रयोग की रीति, चाहे जो हो, भी है) करना जो केन्द्रीय सरकार पूर्वगामी शक्तियों का प्रयोग करने के लिए आवश्यक या समीचीन समझे ।

7. शास्ति -(1) कोई व्यक्ति , जो धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा , ऐसे कारावास से , जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से , जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से दंडनीय होगा या यदि उसे इस धारा के अधीन किसी अपराध के लिए पहले ही सिद्धदोष ठहराया जा चुका हो और उसके पश्चात् उसे , उस अपराध के लिए पुनः दोषसिद्ध किया जाता है तो वह दूसरे और प्रत्येक पश्चात्वर्ती अपराध के लिए ऐसे कारावास से , जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी , किन्तु जो दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से , जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा , दंडनीय होगा ।

(2) कोई व्यक्ति, जो सदोष अभिलाभ के लिए धारा 4 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, ऐसे अपराध के लिए ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी, किंतु दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।

8. अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी-इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध के लिए कोई अभियोजन, केन्द्रीय सरकार की या केन्द्रीय सरकार के साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी की पूर्व मंजूरी के बिना, संस्थित नहीं किया जाएगा ।

9. व्यावृत्ति-इस अधिनियम की किसी बात से किसी व्यक्ति को, ऐसे किसी वाद या अन्य कार्यवाही से, जो तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन उसके विरुद्ध की जा सकती हो, छूट प्राप्त नहीं होगी ।

10. अधिनियम का अध्यारोही प्रभाव होना- इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किसी नियम के उपबंध , किसी अन्य अधिनियमिति या ऐसी अधिनियमिति के आधार पर प्रभाव रखने वाली लिखत में अंतर्विष्ट किसी असंगत बात के होते हुए भी प्रभावी होंगे ।

11. नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगी ।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्तियों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात्ः-

(क) धारा 4 के अधीन संप्रतीक के प्रयोग को विनियमित करने वाले मामले और शर्तें;

(ख) धारा 6 की उपधारा (1) के अधीन सरकार की शासकीय मुद्रा में संप्रतीक के प्रयोग को विनियमित करने और उससे संबंधित निर्बंधनों और शर्तों को विनिर्दिष्ट करने के लिए नियम बनाना;

( ग ) धारा 6 की उपधारा (2) के अधीन लेखन सामग्री पर संप्रतीक का प्रयोग , संप्रतीक वाली शासकीय मुद्रा का डिजाइन और अन्य विषय ;

(घ) धारा 8 के अधीन अभियोजन संस्थित करने के लिए पूर्व मंजूरी देने के लिए साधारण या विशेष आदेश द्वारा अधिकारी को प्राधिकृत करना; और

(ङ) कोई अन्य विषय, जिसे विहित किया जाना अपेक्षित हो या जिसे विहित किया जाए ।

(3) इस धारा के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात्, यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी, यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा, यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन के लिए सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

अनुसूची

[धारा 2(ख) देखिए]

भारत का राज्य संप्रतीक

वर्णन और डिजाइन

भारत का राज्य संप्रतीक अशोक के सारनाथ स्थित उस सिंह स्तंभ शीर्ष से अंगीकार किया गया है जो सारनाथ संग्रहालय में परिरक्षित है । सिंह स्तंभ शीर्ष पर चार सिंह वृत्ताकार शीर्ष फलक पर पीठ लगाए बैठे हैं । शीर्ष फलक की मध्य पट्टी ऊर्ध्वांकित एक हाथी, एक दौड़ते हुए घोड़े, एक सांड और एक सिंह की मूर्तियों से अलंकृत है, जिन्हें मध्यवर्ती धर्मचक्र द्वारा पृथक् किया गया है । शीर्ष फलक घण्टे के आकार के कमल पर रखा हुआ है ।

पार्श्व चित्र में शीर्ष फलक पर तीन सिंह बैठे दिखाई देते हैं, बीच में धर्मचक्र, उसके दाहिनी ओर एक बैल और बाईं ओर दौड़ता हुआ एक घोड़ा है और उनके एकदम दाहिनी और बाईं ओर धर्मचक्र को भारत के राज्य संप्रतीक के रूप में अंगीकृत किया गया है । घण्टे के आकार के कमल का लोप कर दिया गया है ।

सिंह स्तंभ शीर्ष चित्र के पार्श्व चित्र के नीचे देवनागरी लिपि में लिखा आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते"-सत्य की ही विजय होती है-भारत के राज्य संप्रतीक का भाग है ।

भारत का राज्य संप्रतीक परिशिष्ट-1 या परिशिष्ट-2 में यथाउपवर्णित डिजाइन के अनुरूप होगा ।

परिशिष्ट - 1

टिप्पणः यह डिजाइन सरलीकृत रूप में है और लघु आकार में जैसे लेखन सामग्री, मुद्रा और ठप्पा मुद्रण में पुनःप्रस्तुतीकरण के लिए है ।

टिप्पण : यह डिजाइन अधिक विस्तृत रूप में है और बड़े आकार में पुनःप्रस्तुतीकरण के लिए है ।